बच्चा जब टीनएज में पहुंच जाता है तो वह अक्सर अपनी प्राइवेसी और स्पेस को लेकर नाराजगी जताने लगता है. अगर आप भी टीनएजर्स के पैरेंट्स हैं तो आपने भी तमाम ऐसी सिचुएशंस का सामना किया होगा, जिसमें बच्चा इस तरह की बातें करता है. ऐसे में पैरेंट्स कई बार कंफ्यूज हो जाते हैं कि जिन बच्चों को एक वक्त पर हर समय उनकी जरूरत होती थी, वे अब आजादी जैसी बातें क्यों करने लगे हैं? आइए आपको कुछ ऐसे तरीके बताते हैं, जिनसे आप समझ पाएंगे कि टीनएज में पहुंच चुके बच्चों को कैसे समझा जाए।
प्राइवेसी की जरूरत को समझना जरूरी
बच्चों की भलाई के लिए सभी पैरेंट्स सोचते हैं, जो कि एक नॉर्मल प्रक्रिया है. हालांकि, उन्हें कभी इस बात से भी इनकार नहीं करना चाहिए कि प्राइवेसी का अधिकार हर किसी के लिए है. जब बच्चा टीनएज में पहुंच जाता है तो उसके पास अपने दोस्तों से बातचीत करने के लिए तमाम टॉपिक हो सकते हैं. इनमें नए क्रश पर चर्चा से लेकर करियर गोल्स तक शामिल हो सकते हैं. ऐसे में पैरेंट्स को यह समझना जरूरी है कि अब बच्चे अपनी हर बात आपसे शेयर नहीं कर सकते हैं. ऐसे में उनकी पहचान का सम्मान करना जरूरी हो जाता है. अगर हम उनकी बातों को सम्मान करेंगे तो वे खुद ही अपने सीक्रेट्स पैरेंट्स को बताने के लिए तैयार रहेंगे।
बच्चों की जरूरत के हिसाब से करें काम
बच्चों की प्राइवेसी जरूरी है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं होता कि उन्हें आपकी जरूरत नहीं है. हर बच्चा अलग होता है और अलग तरीके से काम करता है. अगर पैरेंट्स उन पर ध्यान नहीं देते हैं तो बच्चा अक्सर पूछ लेता है कि मैंने तो आपको बताया था.. क्या आपने मेरी बात सुनी थी. पैरेंट्स को हमेशा इस तरह की सिचुएशन से बचना चाहिए।
बच्चों में आ रहे बदलाव को समझें
डिजिटल युग के दौरान बच्चों में भी कल्चरल बदलाव भी आ रहा है. जैसे वे देर रात में बाहर जाने के लिए बड़ों से परमिशन लेना पसंद नहीं करते हैं. भले ही यह आपके परिवार में कॉमन न हो. ऐसे में आपको बच्चों के साथ बैलेंस बनाने की जरूरत होती है, जिससे आपके बच्चे अनकंफर्टेबल महसूस न करें. आप अपने बच्चे को अनुशासन में रखने की जगह महीने में दो बार अपने दोस्तों के साथ मस्ती करने की परमिशन दे सकते हैं. साथ ही, उन्हें उनकी जिंदगी में आने वाली मुसीबतों की जानकारी देकर उन्हें आगाह कर सकते हैं।
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