कारगिल विजय दिवस पर छह राज्यों की भाजपा सरकार ने अग्निवीरों को तोहफा दिया है। गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्रियों द्वारा यह जानकारी दी गई है। अग्निवीर जब सेना की अपनी सेवा के बाद वापस लौटेंगे तो उन्हें पुलिस और पीएसी में प्राथमिकतानुसार समायोजित किया जाएगा। अग्निवीर योजना केंद्र सरकार की ड्रीम योजनाओं में से है, यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा 2022 में शुरू की गई थी। इसके तहत 17 से 21 साल की आयु वाले युवाओं को भारतीय सेना में चार साल के लिए सेवा का अवसर दिया जा रहा है।
आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में सैनिक स्तर पर भर्ती के लिए अग्निवीर योजना को लागू किया गया है। आम चुनाव के दौरान विपक्ष ने इस योजना को विशेष तौर से निशाने पर रखा था और इसे लगातार रद्द करने की मांग कर रहा है। लोक सभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी सत्ता में आने के बाद इसे बंद करने की बात करते हैं। हालांकि सरकार बार-बार इस योजना को लेकर दलील देती रही है कि कुछ राजनीतिक दल इस तरह की बातों से युवाओं को गुमराह कर रहे हैं। अग्निवीरों के लिए आरक्षण की इस घोषणा के पीछे यही दबाव माना जा रहा है।
चूंकि ये अल्पकालिक सेवाएं हैं, इसलिए कहा जा रहा है कि चार साल बाद ये सेवामुक्त अग्निवीर पुन: बेरोजगार हो जाएंगे। इसलिए सरकार ने इन्हें निश्चित आरक्षण देकर इस विवाद को संभालने का प्रयास किया है। हालांकि कुछ समय पूर्व ही गृह मंत्रालय द्वारा पूर्व अग्निवीरों के लिए केंद्रीय अर्धसैनिक बलों में दस फीसद पद आरक्षित करने का भी ऐलान किया गया है। साथ ही, अग्निवीरों में से पच्चीस प्रतिशत को पंद्रह सालों तक सेवा में बनाए रखने का प्रावधान भी जोड़ा गया। देश में बढ़ती जा रही बेरोजगारी सरकार के लिए कड़ी चुनौती बनती जा रही है। दूसरे, बहुत बड़ा वर्ग सेना में नियुक्ति को लेकर विशेष उत्सुक रहता है।
उसे प्राप्त होने वाला यह मौका सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। सेना में केवल चार वर्षो के सेवाकाल के उपरांत इन प्रशिक्षित युवाओं का इससे बेहतर इस्तेमाल नहीं हो सकता। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ये योजनाएं युवाओं को बेहतर भविष्य संजोने का मौका देने वाली साबित हो सकती हैं बशत्रे अग्निवीर को चार साल के कार्यकाल के बाद अवसरों के दरवाजे बंद न हों।
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