अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर हमला निश्चित रूप से चिंता का सबब है। 40 दिन पूर्व राष्ट्रपति पद के चुनाव से पहले ट्रंप पर एक चुनावी सभा में जानलेवा हमले से हर कोई हलकान है।
वाकई ट्रंप को जो जीवनदान मिला है, वह भगवान की देन ही कही जाएगी। खुद ट्रंप ऐसा मानते हैं। दरअसल, अमेरिका में बंदूक संस्कृति की वजह से खून-खराबे का ऐसा माहौल बना है। कहते हैं कि वहां लोगों से ज्यादा बंदूकें हैं।
हालांकि इस हमले को सियासी चश्मे से भी देखा और परखा जा रहा है। कई जानकार तो यहां तक दावा करने लगे हैं कि इस हमले के बाद ट्रंप की जीत की राह काफी आसान हो गई है। बहरहाल, ये सभी कयासबाजी मुकम्मल जांच के बाद ही साफ हो सकेंगी कि इसके पीछे किसकी साजिश है। प्रथम दृष्टया जो कुछ सार्वजनिक हुआ है, उसमें हमलावर की ट्रंप के प्रति नासंदगी की बात है।
चुनाव के ठीक पहले इस तरह के हमले को लेकर कई किंतु-परंतु होते हैं। यह लगभग हर देश में होता है। अमेरिका में भी इसे लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं, मगर एक बात तो हर किसी को अपने जेहन में रखनी होगी कि हिंसा और खून बहाना किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए श्राप से कम नहीं। इस नाते किसी को भी इस मसले पर अपनी त्वरित प्रतिक्रिया देने से बचना चाहिए।
विश्व के सबसे ताकतवर मुल्क के मुखिया के पद पर रहे शख्स को जान से मारने की नीयत से हमला करना किसी भी दृष्टि से उचित नहीं कहा जा सकता है। राष्ट्रपति जो बाइडन को तुरंत पूरे प्रकरण की ठोस जांच करानी चांिहए और इस बात का भरोसा विपक्षी दलों समेत देश की जनता को दिलाना चाहिए कि ऐसे कृत्य नाकाबिले बर्दाश्त हैं। इस बात की भी जांच पूरी पारदर्शिता से होनी चाहिए कि उनकी सुरक्षा में तैनात सीक्रेट सर्विस के एजेंट से कहां चूक हुई।
निश्चित तौर पर ट्रंप पर हमला सामान्य घटना नहीं है। इससे अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव की पूरी दिशा ही बदल सकती है। ट्रंप फिलहाल बाइडन से प्रचार में बढ़त बनाए हुए हैं। बाइडन की उम्र और उम्र संबंधी दुारियों की वजह से रिपब्लिन पार्टी फिलवक्त कमजोर दिखती है।
अगर ट्रंप पर हमले की घटना आम अमेरिकियों के दिलो-दिमाग पर गहरे तक असर डालेगी तो वहां सत्ता में बदलाव हो सकता है। देखना है, रिपब्लिकन पार्टी पूरी घटना से खुद को कैसे उबार पाती है? आने वाला वक्त वाकई दिलचस्प होने वाला है।
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