देहरादून। उत्तराखंड में साहसिक पर्यटन के लिए ऊंचे हिमालई क्षेत्रों में ट्रैकिंग के लिए पर्यटन विभाग ने कोई नियम कायदे व एस ओ पी तैयार नहीं की है इसीके कारण आज सहस्त्रताल जैसी दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना घटी है जिसमें नौ पर्यटन की जान चली हाई व इसी प्रकार की दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना वर्ष २०२२ में घटी थी जिसमें २२ निम के प्रशिक्षुओं की मृत्यु हो गई थी यह बात आज उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने अपने कैंप कार्यालय में आयोजित पत्रकार वार्ता में कही। उन्होंने कहा कि इसके लिए पूरी तरह से राज्य सरकार का गृह विभाग व पर्यटन विभाग जिम्मेदार है।
धस्माना ने कहा कि विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले ऊंचे पर्वतों में जहां मौसम के पूर्वानुमान लगाना मुश्किल होता है व बर्फीले तूफान बर्फबारी बारिश भूस्खलन भू धसाव जैसी घटनाएं लगातार होती रहती हैं ऐसे क्षेत्रों में बिना स्वास्थ्य जांच, उम्र सीमा ,बिना आवश्यक उपकरण व सैटलाइट फोन आदि औपचारिकताओं को पूरा किए बिना जाना हमेशा जोखिम भरा हो सकता है अतः इसके लिए सख्त नियम व एस ओ पी के जाना जानलेवा दुर्घटनाओं को जानबूझ कर आमंत्रण देने जैसा है जो आशंका सहस्त्रताल हादसे में व २०२२ में द्रोपदी का डांडा में सच साबित हुई।
धस्माना ने कहा कि सहस्त्रताल में तो सभी पर्यटक ३० वर्ष से ऊपर व एक ७१ वर्ष की आयु के भी थे जिनकी मृत्यु हुई। धस्माना ने कहा कि साहसिक पर्यटन के लिए यह आवश्यक है कि एक एस ओ पी बने व उसका सख्ती से पालन हो। उन्होंने कहा कि सहत्रताल की घटना में सभी पर्यटक तीस वर्ष की आयु से अधिक थे और उनके पास इस ट्रैकिंग अभियान के लिए ना तो आवश्यक उपकरण थे ना उनकी स्वास्थ्य जांच हुई थी । धस्माना ने कहा कि उत्तराखंड में पर्वतारोहण, ट्रैकिंग,रिफर राफ्टिंग समेत अन्य सभी साहसिक खेलों व पर्यटन गतिविधियों के लिए अंतराष्ट्रीय मापदंडों के साथ नियम कायदे बनने चाहिएं व उनका सख्ती से पालन भी होना चाहिए । उन्होंने कहा कि नेता और मंत्री बातें बड़ी बड़ी करते हैं किंतु आज राज निर्माण के चौबीस वर्षों बाद भी कोई सरकार इस काम को नहीं कर पाई यह बड़े दुर्भाग्य की बात है।
+ There are no comments
Add yours