लोगों में राहुल को लेकर भारी उत्साह – Rant Raibaar

Estimated read time 1 min read

शकील अख़्तर
जिसने भी पिछले दो दिन राहुल की यात्रा देखी है उसकी समझ में आ गया है कि राहुल ने हरियाणा में कांग्रेस की हवा को आंधी में बदल दिया। लोगों में राहुल को लेकर भारी उत्साह है।ज् यात्रा का महत्व समझकर उन्होंने यह हरियाणा में तीसरी यात्रा निकाल दी। और हरियाणा के मिज़ाज को पुख्ता कर दिया। जनता जो सोच रही थी कि अब भाजपा को हराना है वह राहुल ने पक्का करवा दिया। अब बस हरियाणा चुनाव की वोटिंग बची है। जैसी हवा है उसे देखते हुए तो लोगों की निगाह 5 अक्टूबर के मतदान पर नहीं बल्कि सीधे 8 अक्तूबर की काउन्टिंग पर है और इंतजार है कि कांग्रेस को कितनी सीटें मिलती हैं। बीजेपी और उसका मीडिया दोनों मान चुके हैं कि भाजपा नहीं जीत रही। बड़े साफ तौर पर बीजेपी के नेता कह रहे हैं कि बहुमत नहीं मिलेगा मगर 2019 की तरह जोड़ तोड़ कर सरकार हम ही बनाएंगे। जनता से ज्यादा उन्हें अपने जोड़ तोड़ करने की क्षमता पर भरोसा है। लेकिन इसके बावजूद भी वे कांग्रेस को बहुमत से थोड़ी कम सीटें तो बोल रहे हैं। मतलब भाजपा और गोदी मीडिया मन मार कर भी कांग्रेस को भाजपा से आगे बता रहा है।

लेकिन क्या यही हरियाणा की सही तस्वीर है। नहीं! जिसने भी पिछले दो दिन राहुल की यात्रा देखी है उसकी समझ में आ गया है कि राहुल ने हरियाणा में कांग्रेस की हवा को आंधी में बदल दिया। लोगों में राहुल को लेकर भारी उत्साह है। कांग्रेसियों को यह बात समझना चाहिए। यहां हर कांग्रेसी नेता खुद को खुदा मानता है। और दूसरे कांग्रेसी को कुछ नहीं। उसके इसी मिथ्याभिमान के कारण पहले कांग्रेस ने राजस्थान हारा और इस बार हरियाणा में हारना चाह रही थी।

मगर समय रहते राहुल गांधी ने सही स्टैंड ले लिया। और हरियाणा में यात्रा शुरू कर दी। हालांकि कहा तो उन्होंने हंसते हंसते है कि कांग्रेस के शेर कभी कभी आपस में लड़ जाते हैं। और मेरा काम इन्हें फिर से एक करना है। वे भूपेन्द्र हुड्डा और कुमारी सैलजा दोनों के पीछे जाकर खड़े हुए और दोनों के हाथ उपर उठाकर मिलवा दिए। अगर कांग्रेस के क्षत्रपों में जरा भी शर्म है, कुछ शराफत बची है तो उन्हें समझना चाहिए कि उनकी पार्टी का सबसेबड़ा नेता खुद पीछे होकर उन्हें आगे कर रहा है। क्या मोदी जी कभी ऐसा कर सकते हैं? राहुल ने कहा कि हमारे कुछ नेता भाजपा में चले जाते हैं और वहां तो ऐसा कर नहीं सकते जैसा हमारे यहां करते हैं। हम तो एडजस्ट कर लेते हैं। मगर वहां तो उन्होंने उतरा हुआ चेहरा बना कर बताया कि ऐसे बैठना पड़ता है। यहां तो हंसते हैं मजाक करते हैं। और जो उन्होंने बोला नहीं वह यह कि  कांग्रेस की ऐसी तैसी करते हैं।

चुनाव प्रचार के दूसरे कार्यक्रम रोड शो, आमसभा पारंपरिक होते हैं। वैसे ही इसमें भाषण होते हैं। मगर यह पहली बार राहुल ने चुनाव के दौरान जो यात्रा निकाली वह एक बहुत सफल प्रयोग रहा। एक तो हजारों लोग इससे जुड़े दूसरे पूरे दिन जनता के साथ रहने से नेता के दिमाग में भी मौलिक विचार आते हैं। राहुल कोई मोदी की तरह टेलिप्राम्पटर पर पढक़र तो बोलते नहीं हैं। वे तो जो जनता से सीखते हैं उसी को आगे बढ़ाते हैं। हमारे यहां पाखंड बहुत है। यह माना ही नहीं जाता कि जनता से सीखा जा सकता है। नेता तो उसे सिखाने जाता है। मगर दुनिया भर में जनता ही राजनीति की सबसे बड़ी शिक्षक मानी जाती है। गोर्की ने लिखा है माय यूनिवर्सिटिज। मेरे विश्वविध्यालय। उसमें आम जनता को ही विश्वविध्यालय बताया गया है। मैकिस्म गोर्की रूस के महान उपन्यासकार थे। तो हमारे यहां नेता जनता को सिखाता है। अपने मन की बात करता है। राहुल यही कहते हैं कि मैं आपके मन की बात सुनना चाहता हूं।

तो खैर यात्रा में राहुल ने बहुत सारी ऐसी बाते कहीं जो आम तौर पर होती नहीं हैं। उन्होंने एक अच्छी मिसाल दी। टीवी ने तो यह सब दिखाया नहीं। अखबारों में भी नहीं है। लोगों को कैसे मालूम चले? हम बताते हैं। राहुल ने कहा एक शर्ट जो अंबानी खरीदता है उस पर वह भी उतना ही टैक्स देता है जितना एक गरीब आदमी अपने बेटे के लिए उसकी शादी के लिए एक एक पैसा इक_ा करके खरीदते हुए देता है। ऐसे ही अपने बच्चे के लिए   मिठाई खरीदते हुए गरीब उतना ही देता है जितना अंबानी अपने शौक के लिए खरीदते हुए। ठीक है दोनों बराबर टैक्स देते हैं। मगर फिर अंबानी, अडानी के हजारों करोड़ रुपए के कर्जे क्यों माफ किए जाते हैं। और गरीब का एक पैसे का कर्ज नहीं! उन्हें सरकारी खरीद में एयरपोर्ट, बंदरगाह, रेल्वे स्टेशन पर छूट छूट। और किसान की फसल एमएसपी पर खरीद भी नहीं।

राहुल ने साफ घोषणा की कि जितना पैसा मोदी जी ने अंबानी, अडानी को दिया है वह सब उनसे वापस लेकर मैं किसान मजदूर गरीब को दूंगा। इसी संदर्भ में उन्होंने अंबानी की शादी का मजेदार जिक्र किया। लोगों से पूछा टीवी पर देखी। जनता के कहा हां। राहुल ने कहा कभी किसी किसी किसान मजदूर की शादी टीवी पर देखी। जनता आश्चर्यचकित! चुप ! उसके दिमाग में पहली बार अपने बच्चे और अंबानी के बच्चे के बीच फर्क समझ में आया। वोट तो उसका भी एक है अंबानी का भी एक। मगर अंबानी की शादी कई कई दिन तक टीवी पर चलती है। खाने और डांस चलते हैं। और सबसे बड़ी बात जो राहुल ने पूछी कि मोदी वहां दिखे?  जनता ने कहा दिखे। और राहुल दिखा?  जनता के एक सैंकड में समझ में आ गया कि यह फर्क है।

राहुल अब नेता हो गए हैं। उन्होंने जनता को समझा दिया कि राहुल और मोदी में क्या फर्क है। राहुल किसानों के बीच धान की रोपाई करता है। और मोदीजी अंबानी की हजारों करोड़ की शादी में जाते हैं। यहां यह बता दें कि पिछले दिनों जिन वीडियो की बहुत चर्चा हुई थी राहुल के खेत में धान रोपते हुए उस खेत के किसान संजय ने मंगलवार को उस धान से निकला चावल लाकर राहुल को भेंट किया। राहुल की बोई हुई फसल से निकला अनाज। यह तो खेत की बात थी। मगर अब ऐसा ही राजनीति में होने लगा है। राहुल को यहां केवल फसल बोना ही नहीं थी। बल्कि उससे पहले बंजर हो गए खेत तैयार भी करना थे। 2011- 2012 के बाद से कांग्रेस की जमीन सूखती चली गई। इसे फिर से आबाद करना बहुत बड़ी चुनौति थी। मोदी इसलिए निरद्वंद शासन कर रहे थे।

मगर राहुल ने दो यात्राएं निकालकर कांग्रेस की सुखी जमीन को फिर हरा-भरा कर दिया। और यात्रा का महत्व समझकर उन्होंने यह हरियाणा में तीसरी यात्रा निकाल दी। दो यात्राओं में तो वे यह कहने से बचते रहे कि यह राजनीतिक यात्राएं हैं। मगर यह तीसरी और बिल्कुल छोटी तो पूरी तरह राजनीतिक यात्रा थी। और छोटी क्या उन दो विशाल यात्राओं के सामने तो बिन्दू भी नहीं। मगर प्रभाव में बहुत आगे। हरियाणा के मिज़ाज को पुख्ता कर दिया। जनता जो सोच रही थी कि अब भाजपा को हराना है वह राहुल ने पक्का करवा दिया। लेकिन यह चुनाव है कुछ भी हो सकता है। ऐसा कहा जाता है। मगर क्या यह सच है। नहीं। कभी नहीं रहा। ऐसी अनिश्चितता जनता के मिज़ाज में नहीं होती है। मगर अब एक कारण से आखिरी आखिरी तक संशय बना रहता है। और वह है चुनाव आयोग। अब यह कहा जाने लगा है कि चुनाव जनता वर्सेंस चुनाव आयोग के बीच हो रहा है। पता नहीं। लेकिन अगर होने भी लगा है तो चुनाव आयोग को यह समझ लेना चाहिए कि जनता से जीतने की होड़ न करे।

जनता ने बड़े बड़े राज सिंहासन उठा कर फेंक दिए हैं। चुनाव आयोग बहुत छोटी चीज है। जनता जो चाह रही है उसे होने दें। और 8 अक्टूबर को बता दें। इतने स्पष्ट माहौल के बाद जनता इसमें घालमेल बिल्कुल बर्दाश्त नहींकरेगी।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours