राहुल को युद्ध और हिंसा की सच्चाई समझना होगा

Estimated read time 1 min read



देशवासियों को बेसब्री से इंतजार था और दिलचस्पी भी थी कि राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान नेता प्रतिपक्ष के रूप में पहली बार राहुल गांधी सदन में कौन-सा नया विचार रखेंगे। कौन-कौन से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दे हैं जिनसे सरकार और प्रधानमंत्री को असहज करेंगे। इतिहास ने उन्हें करोड़ों देशवासियों का दिल जीतने का अवसर दिया था लेकिन उन्होंने ऐतिहासिक अवसर को गंवा दिया। राहुल खुद को ‘एंगरी यंगमैन’ के रूप में पेश करते हुए भाजपा पर कटाक्ष करते हुए कह गए कि जो लोग खुद को हिन्दू कहते हैं, वे चौबीस घंटे हिंसा, नफरत और झूठी बातें करते रहते हैं।

देश के समूचे हिन्दू समाज को हिंसक बताकर बहुसंख्यक आबादी को न केवल नाराज किया, बल्कि अपमानित भी कर दिया। जब प्रधानमंत्री मोदी ने इस पर हस्तक्षेप करते हुए कहा कि पूरे हिन्दू समाज को हिंसक कहना गलत है, यह गंभीर विषय है। इसके बाद राहुल को समझ में आया कि वह गलती कर बैठे हैं और अपनी गलती को सुधारते हुए उन्हें कहना पड़ा कि वह भाजपा के बारे में बोल रहे थे। भाजपा, आरएसएस या प्रधानमंत्री मोदी पूरा हिन्दू समाज नहीं हैं।

सबसे दिलचस्प बात यह थी कि राहुल भगवान शिव, भगवान बुद्ध, महावीर, गुरुनानक देव की तस्वीर लेकर सदन में आए थे। उन्होंने अपनी बात रखते हुए ईसा मसीह और पैगम्बर मोहम्मद साहिब का भी जिक्र किया और कहा कि ये सभी अभय मुद्रा में हैं। यह सच है कि इन सभी महापुरुषों ने शांति और अहिंसा का संदेश दिया है और यह भी सच है कि कोई भी धर्म हिंसा का समर्थन नहीं करता।

लेकिन राहुल किसी भी महापुरुष के दर्शन और विचार को न परिभाषित कर पाए, न व्याख्यायित कर पाए और न सदन के जरिए देशवासियों को ही समझा पाए। पौराणिक ग्रंथों में सुर-असुर संग्राम की चर्चा है। धर्म की रक्षा के लिए शिव, कृष्ण आदि देवताओं ने भी हथियार उठाए हैं। चाहे शिवाजी हों या महाराणा प्रताप, सभी के जीवन में युद्ध करने के अवसर आए हैं। पिछले दो वर्षो से समूचे विश्व का ध्यान रूस-यूक्रेन और फिलिस्तीन-इस्रइल युद्ध की ओर गया है।

मानवीय हिंसा और युद्ध गहरी चिंता और घृणा के विषय हैं, लेकिन यह भी सच है कि पिछले दो विश्व युद्ध भी मानव जाति को युद्ध और हिंसा की आग में जलाने से रोक नहीं पाए। राहुल गांधी को युद्ध और हिंसा की सचाई को समझना होगा। कोई भी सभ्य समाज हिंसा का समर्थन नहीं करता।

You May Also Like

More From Author

+ There are no comments

Add yours